Diya Jethwani

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लेखनी कहानी -17-Oct-2022... थदड़ी... सिंधी पर्व

थदड़ी.... इसे बड़ी सातम के नाम से भी जाना जाता है...। 

यह त्यौहार भाद्रपद की सातम को मनाया जाता हैं...। 
इस दिन सिंधी समाज के लोग बासेड़ा मनाते हैं..। 
मतलब इस दिन सभी गर्म खाना नहीं खाते..। एक दिन पहले बनाया हुआ... खाना अगले पूरे दिन खाया जाता हैं..। 
छठ के दिन लोग शाम से ही अगले दिन खाए जाने वाले खाने की तैयारियां करना शुरू कर देते हैं..। 
सिंधी समाज के लोग इस दिन मुख्यतः एक सिंधी पकवान बनाते हैं..। जिसे गेहूं के आटे से बनाया जाता हैं जिसमें इलायची और शुद्ध घी डालकर गुंधा जाता हैं... फिर उसकी मोटी और बड़ी रोटियां बनाई जाती हैं..। जिसे सिंधी भाषा में "मिठ्ठी मानी" के नाम से जाना जाता हैं...। बहुत जगहों पर इसे "लोलो" भी कहा जाता हैं..। इसके अलावा सिंधी स्पेशल व्यंजन दाल पकवान भी बनाकर रखा जाता हैं..। इसके अलावा भी तरह तरह के सिंधी व्यंजन बनाए जाते हैं...। 

चाय के अलावा घरों में कुछ भी गर्म खाना नहीं बनाया जाता...। चाय भी उस चूल्हे पर नहीं बनाई जाती जिसे बासेड़ा बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया हो..। उस चूल्हे को पूरा दिन ठंडा रखा जाता हैं..। छठ की रात्रि में सभी व्यंजन बनाने के बाद उसे पानी डालकर ठंडा किया जाता हैं और उसे अगले पूरे दिन इस्तेमाल नहीं किया जाता हैं...। 
अगले दिन सवेरे नहा धोकर तैयार होकर सिंधी समाज की औरतें इस दिन पीपल के पेड़ पर जाकर चांदी की बनी शीतला माता की मूर्ति रखकर उसकी पूजा अर्चना करती हैं... और सिंधी भजन गाती हैं..। 

थदड़ी का मतलब होता हैं... ठंडा खाना..। 


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4 Comments

Natasha

04-Apr-2023 05:11 AM

बहुत खूब

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Swati chourasia

19-Nov-2022 11:05 PM

Very nice 👍

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Gunjan Kamal

18-Nov-2022 08:38 AM

शानदार

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